नयी उमंग

“पल भर की ख़ुशी सी थी 
ना जाने किसकी नज़र लग गयी 
सजाये थे हज़ारो सपने मैने 
शीशे की तरह टूट से गए सब 
आँखो मे थी एक नयी उमंग 
कुछ करने की, कुछ पाने की, कुछ कर दिखाने की 
पर पल भर के इन झटको मे  सब बिखर से गए 
हर पल मे यही सोचता रह गया 
की क्यों हुवा ये सब ? क्यों टूट से गए मेरे सपने सब ?
एक आवाज़ आई भीतर से 
की फिर एक नयी शुरुवात कर 
क्या हुआ की तू एक बार हार गया 
हज़ार बार हारने के बाद भी 
तू कभी न डर  
ज़िन्दगी खेल है 
तू फिर हिम्मत कर और आगे चल पड़ 
उस मुकाम पर 
उस मंज़िल पर 
जीत की उन् राहो पर 
जहाँ  तू ही है
बस चल 
बस चल ” 
With love, 
Ink SLinger #pK

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